Monday, February 14, 2011

स्वामी विवेकानन्द

//नवम् दृश्य //

      अब नरेन्द्र नाथ अपने जीवन का उद्देश्य पूर्णतया समझ गए थे। जन सेवा के व्रत में उन्होंने अपने ह्रदय की सारी शक्ति उड़ेल दी। समस्त विश्व के दीन-दुखियों का ह्रदयभेदी आर्तनाद उनके अन्तर में प्रतिध्वनित हो उठता। इसीलिए उन्होंने सर्वत्र नररूपि नारायण की सेवा का मन्त्र सुनाया। भारत के एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त तक सभी लोगों को नरनारायण-सेवाव्रत के सन्देश से अणुप्राणित किया। रविन्दर नाथ ठाकुर के प्राणों में स्वामी जी के इस सन्देश ने विलक्षण झंकार उठायी थी। वे लिखते हैं- विवेकानन्द ने कहा था- दरिद्र नारायणों के माध्यम से नारायण हमारी सेवा लेना चाहते हैं, इसे कहते हैं सन्देश! इस सन्देश ने स्वार्थ बोध के परे मनुष्य के आत्म बोध को असीम मुक्ति का मार्ग दिखाया। यह किसी आचार विशेष का उपदेश नहीं है। यह कोई व्यवहारोपयोगी संकीर्ण अनुशासन नहीं है। छुआछूत का निषेध इसमें अपने आप आ जाता है- इसलिए नहीं कि उसके द्वारा राष्ट्र के स्वतन्त्र होने का सुयोग है

// टिप्पणी  //
     देश के मेरूदण्ड्स्वरूप, राष्ट्र के प्राण्स्वरूप, भारत के भविष्यरूप इन दीन जन-नारायणों की शोचनीय परिस्थिति को सुधारने की दिशा में वे राजाओं और राजकर्मचारियों को प्रोत्साहित करने लगे। उनमें चेतना जागृत करने के लिए वे नवयुवकों को प्रेरणा देने लगे। दलित और पीड़ित जनता के सम्पर्क में वे जितने घनिष्ट रूप से आने लगे, उनके अन्तर में जन सेवा का व्रत उतना ही सुस्पष्ट आकार धारण करने लगा। मानव की पीड़ा और व्यथा को केन्द्रित करके ही उनकी समस्त शक्ति एवं चेष्टा नर-नारायण की सेवा में लगी थी। उन्होंने कहा था- मैं ऐसा एक धर्म चाहता हूँ जो हममें आत्म विश्वास और राष्ट्रीय स्वाभिमान का बोध जगा दे तथा हममें दीन-दुखियों को अन्न और शिक्षा देने की तथा हमारे चारों ओर फैले समस्त दु:ख-कष्टों को दूर करने की शक्ति भर दे।यदि ईश्वर लाभ करना चाहते हों तो मनुष्य की सेवा करो



7 comments:

Dr. Yogendra Pal said...

ऐसे ही लिखते रहिये साथ ही अपने ब्लॉग को "अपना ब्लॉग" में सम्मिलित कीजिये, इससे आपके पाठक से संख्या इजाफा होगा

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लेख लिखा जी , सुंदर विवार के लिये आप का धन्यवाद

Patali-The-Village said...

बहुत सुंदर विवार के लिये आप का धन्यवाद|

हरीश सिंह said...

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वीना श्रीवास्तव said...

अच्छी पोस्ट के लिए बधाई

Unknown said...

शुक्रिया।

संगीता पुरी said...

इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!