Tuesday, June 7, 2011

नफरत का तीर खुद करने वाले को ही लगता है


कहते हैं हम जो लोगों को देते हैं वही हमें वापस मिला है। अगर हम किसी को प्यार देगें तो ही हमें बदले में प्यार मिल सकता है और अगर किसी से नफरत करेंगें तो बदलें में प्यार की उम्मीद करना बेकार है। सीता और गीता नाम की दो बहनें थी सीता की शादी सम्मपन्न परिवार में हुई और गीता की एक गरीब परिवार में। एक दिन एक साधू ने गीता को अपनी गरीबी दूर करने के लिए मां वैभव लक्ष्मी का व्रत और पूजन करने को कहा। वह पूरे मन से मां वैभव लक्ष्मी का व्रत करने

लगी एक दिन उसके सपने में मां ने दर्शन देकर कहा कि मैं तुम्हारी पूजा से खुश हूं आज से तुम्हारे दुख दूर हो जाऐंगे तुम जिस चीज के बारे में सोचोगी वो तुम्हें मिल जाएगी।सुबह गोबर पाथते हुए उसे सपने की बात याद आई और उसने मन में विचार किया कि ये कण्डे हीरे मोती के हो जाऐं। जैसे ही उसने मन में विचार किया वे कण्डे हीरे मोती के हो गए। उसने उन हीरे मोतियों से व्यापार शुरु किया और व्यापार उसका व्यापार चल निकला उधर जब यह बात उसकी बहन सीता को मालूम हुई तो वह अपनी बहन से मिलने आई। उसने गीता से पूछा कि इतना सारा पैसा तुम्हारे पास कैसे आया। गीता ने सारा सच अपनी बहन को बता दिया। फिर तो सीता ने भी सोचा कि मैं भी लक्ष्मी जी का व्रत करूंगी। वह भी पूरे मन से वैभव लक्ष्मी का व्रत व उपवास करने लगी। उसे भी मां ने दर्शन देकर आर्शीवाद दिया कि वह जो मांगेगी वह उसे मिलेगा। सीता ने कहा कि गीता जो भी सोचे उसका दोगुना मेरे पास आ जाए। बस फिर क्या था। जो गीता मांगती सीता के पास उसका दोगुना हो जाता। यह सब देख गीता को गुस्सा आने लगा वह सोचने लगी कि मेरी बहन को मेरी सम्पन्नता हजम नहीं हुई इसलिए उसने मां से ऐसा वरदान मांगा। लेकिन वह भी कम पडऩे वाली नहीं थी वह गुस्से से पागल हो रही थी। उसने अपनी बहन को सबक सिखाने की ठान ली। उसने सोचा कि मेरी एक आंख फूट जाऐ तभी सीता की दोनों आखें फूट गई। फिर उसने सोचा कि मेरा एक पैर टूट जाए वहीं दूसरी तरफ सीता के दोनों पैर टूट गए। गुस्से में गीता को ये भी होश नहीं था कि जाने अनजाने में वह अपना भी बुरा कर रही है। तभी आकाशवाणी हुई और आवाज आई कि तुम दोनों ने अपनी शक्तियों का गलत उपयोग किया है। तुमसे अब इन शक्तियों को वापस ले रही हूं। तब दोनों बहनों को अपनी गलती का एहसास हुआ और दोनों पछतावा करने लगी लेकिन तब तक उनका सब कुछ खत्म को चुका था।


1 comment:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर शब्द रचना| धन्यवाद|