`ओम`
अपना जीवन उद्देश्य शीघ्र अति शीघ्र तय करें। फिर सदैव उसी का ध्यान करें।
मेरा उद्देश्य प्रभु की प्रसन्नता और उसको प्राप्त करना है।
प्राप्त करने के रास्ते:-
1 सदैव उसी का ध्यान करें।
2 जाप, जितना अधिक से अधिक बन पड़े।
3 उसी की धारणा और ध्यान करें।
4 उसी का जिक्र करें।
5 उसी के गुणों का निरूपण करें
6 उठते-बैठते, सोते-जागते अनुभव ऐसा करें जैसे ये सभी क्रियाएँ जो मैं कर रहा हूँ, ये सब प्रभु स्वमेव कर रहे हैं।
7 भोजन करते समय भी अनुभव करें, जैसे वे ही कर रहे हैं। उन्हीं के पेट में जा रहा है।
8 सदैव मुस्कराते रहें। यह अभ्यास औरों को बिना खर्च के दान और अपने लिए आनन्द है