सफ़लता की सीढ़ी
अपने विषय में विशेषज्ञ बनने का प्रयत्न कीजिए। आप विद्यार्थी हों तो
अध्ययन से, चिकित्सक हों तो रोगियों से और चिकित्सा सम्बन्धी पुस्तकों से,
गायक हों तो गान-विद्या-विषयक अभ्यास से अनुराग उत्पन्न कीजिये।
अपने कार्य से एकाकार हो जाइये। अपने विषय की गहराइयों में प्रवेश कीजिये,
उत्साह बढ़ता ही जाएगा। उत्साह आपकी योग्यता और चातुर्य के साथ
बढ़ता ही जाएगा। जैसे ही किसी विषय में आपका उत्साह कम होने लगे, उस
विषय की सूक्ष्मताओं की खोज में लग जाइये।
जो भी कार्य कीजिये, उसमें नया जीवन फ़ूँक दीजिये, हँसते हुए
मुस्कराते हुए कीजिए। सदा सर्वत्र आपके मुख पर आशा और उमंग की छाप
होनी चाहिए।
महापुरुषों की जीवनी पढ़िए, उनके-जैसे चरित्रवान् बनने का प्रयत्न
कीजिए। महाराजा रणजीतसिंह के जीवन से प्रेरणा लीजिए जिन्हें बरसात में
बढ़ी हुई सिन्धु नदी ने रास्ता दे दिया था। नैपोलियन की जीवनी पढ़िए जिसको
आल्पस पर्वत ने रास्ता दे दिया था। ये उत्साह के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
हमारी मानसिक स्थिति का प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है और
हमारी शारीरिक दशा हमारे मानस को प्रभावित करती है। उत्साह, मुसकान,
हँसी, लगन, शक्ति, और ध्यान सावधानी के रूप में प्रकट होता है। ये ही
शक्तियाँ हमें सफ़लता की ओर अग्रसर करती हैं। संसार के चित्रपट पर
एक उत्साही पुरुष का अभिनय कीजिए। यथार्थ उत्साह स्वयमेव ऊपर
की शक्तियों को प्रकट कर देगा।
5 comments:
बढिया है
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दो जी
प्रणाम
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दो जी. ये मुझे नहीं पता कहाँ लगा रखा है,और कैसे हटाना है।
सुशील जी नमस्कार, बहुत सुंदर लिखा जी, क्या आप इस समय आन लाईन हे तो मुझे गुगल मेल पर चेट करे , मै आप की मदद करता हू इस ब्लांग के बारे
मेरे नाम पर किल्क करे ओर मेरे तक पहुच जाओगे, कल सुबह भारतिया समय करीब दोपहर १ बजे मै आन लाईन रहुंगा, तब बात किजिये मै मदद करुंगा, मेरा मेल का पता आप को मेरे नाम पर किल्क करने से मिल जायेगा, जेसे जेसे आप आगे जाते जायेगे
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