Saturday, August 27, 2011

जीवन उद्देश्य


`ओम`
 अपना जीवन उद्देश्य शीघ्र अति शीघ्र तय करें। फिर सदैव उसी का ध्यान करें।
मेरा उद्देश्य प्रभु की प्रसन्नता और उसको प्राप्त करना है।
 प्राप्त करने के रास्ते:-
1       सदैव उसी का ध्यान करें।
2       जाप, जितना अधिक से अधिक बन पड़े।
3       उसी की धारणा और ध्यान करें।
4       उसी का जिक्र करें।
5       उसी के गुणों का निरूपण करें
6       उठते-बैठते, सोते-जागते अनुभव ऐसा करें जैसे ये सभी क्रियाएँ जो मैं कर रहा हूँ, ये सब प्रभु स्वमेव कर रहे हैं।
7       भोजन करते समय भी अनुभव करें, जैसे वे ही कर रहे हैं। उन्हीं के पेट में जा रहा है।
8       सदैव मुस्कराते रहें। यह अभ्यास औरों को बिना खर्च के दान और अपने लिए आनन्द है

Thursday, June 30, 2011

जगत कैसा है?

एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों गुरु के पास रहकर शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण करते थे। एक दिन गुरु ने उनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने एक शिष्य को बुलाकर पूछा, 'बताओ, यह जगत कैसा है?' शिष्य ने कहा, 'गुरूदेव, यह तो बहुत बुरा है। चारों तरफ अंधकार ही अंधकार है। आप देखें, दिन एक होता है और रातें दो। पहले रात थी। अंधेरा ही अंधेरा छाया था। फिर दिन आया और उजाला हुआ। लेकिन पुन: रात आ गई अंधेरा छा गया। एक बार उजाला, दो बार अंधेरा। अंधेरा अधिक, प्रकाश कम। यह है जगत।'

गुरु ने उस शिष्य की बात सुनने के बाद दूसरे शिष्य से भी यही प्रश्न पूछा। दूसरा शिष्य बोला, 'गुरूदेव, यह जगत बहुत ही अच्छा है। यहां चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है। रात बीती उजाला हुआ। सर्वत्र प्रकाश फैल गया। रोशनी आती है तो अंधकार दूर हो जाता है। वह सबकी मुंदी हुई आंखों को खोल देता है, यथार्थ को प्रकट कर देता है। कितना सुंदर और लुभावना है यह जगत कि जिसमें इतना प्रकाश है। देखता हूं, दिन आया, बीता। रात आई, बीती। फिर दिन आ गया। इस प्रकार दो दिनों के बीच एक रात। प्रकाश अधिक, अंधकार कम।'

गुरु ने फिर दोनों शिष्यों को बुलाकर कहा, 'यह जगत अपने आप में कुछ नहीं है। यह वैसा ही दिखता है जैसा हम इसे देखते हैं।' उन्होंने पहले शिष्य को दूसरे शिष्य की बात बताई और कहा, 'अगर हम इसे सकारात्मक दृष्टि से देखेंगे तो यह हमें बहुत सुखद लगेगा। इसलिए तुम अपना दृष्टिकोण सकारात्मक बनाओ।'\


Monday, June 20, 2011

जरुरी नहीं टिप्पनी देना, परन्तु पढ़ना और ध्यान देना जरुरी


जीवन की सफलता-सदैव उद्देश्य पर दृष्टी

जीवन में सफल होने के लिए उद्देश्य का होना बहुत जरूरी है। बिना
 उद्देश्य के इंसान सिर्फ भटकता और गुमराह होता है। उसकी ऊर्जा और श्रम व्यर्थ चले जाते हैं। उसे न मार्ग पता होता है, न मंजिल। सफलता की प्राप्ति के लिए उद्देश्य को निर्धारित करना अति आवश्यक है। क्योंकि जिस व्यक्ति को अपनी मंजिल का पता नहीं उसे मार्ग या दिशा का क्या पता होगा? इसलिए जीवन जीने का एक उद्देश्य निर्धारित करें। उसी अनुसार अपनी योजनाएं बनाएँ तथा अपनी दिनचर्या व कार्यप्रणाली तय करें।
       समय का सदुपयोग करें:- उद्देश्य को सिर्फ नाम के लिए ही तय न करें। उस पर संजीदगी से कार्य भी करें, यानि उसे पाने के लिए मेहनत करें। उसे पूरा वक्त दें, टाइम टेबल बनाएँ, उस पर अमल करें तथा अधिक से अधिक समय अपने उद्देश्य को दें।
        चुनौतियों का स्वागत करें :-संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है, इसलिए जहां सपने हैं, वहां चुनौतियाँ भी हैं। जहां चुनौतियाँ हैं वहां कठिनाईयां भी होंगी। इसलिए आगे बढ़ने के लिए मार्ग के कांटे और व्यवधानों से घबराएं नहीं अपितु उनका डटकर सामना करें। सफलता आपके पांव चूमेगी।

Monday, June 13, 2011

विनति


प्रभु जी एक ही विनती मेरी, मुझे हर पल याद रहे तेरी
तेरे ही गुणगान करूँ मैं, मेरे प्रभु जी मेरे राम

प्रभु जी एक ही चाहत मेरी, मेरे मन में बस जाये मुरत तेरी
तेरे ही नाम का कीर्तन करूँ मैं, मेरे प्रभु जी मेरे राम

प्रभु जी एक ही पुकार मेरी, ले लो शरण में करो ना देरी
तेरे सिवाय मैं किसको पुकारूँ, मेरे प्रभु जी मेरे राम

दास की विनति प्रभु जी, भक्तों की लाज बचाते रहना
भक्तों की लज्जा के रखवाले, मेरे प्रभु जी मेरे राम

प्रभु जी एक ही विनती मेरी, मुझे हर पल याद रहे तेरी