Thursday, February 10, 2011

स्वामी विवेकानन्द

// सप्तम् दृश्य //
एक दिन उन्होंने श्री रामकृष्ण के समीप अपने प्राणों आर्ति व्यक्त करते हुए आवेग भरे स्वर में कहा- मुझे इच्छा होती है कि मैं शुकदेव की तरह लगातार पाँच-छ्ह दिन तक समाधि में डूबा रहूँ। केवल देह की रक्षा के लिए थोड़ा सा नीचे आऊँ और पुनः समाधिमग्न हो जाऊँ ।
नरेन्द्र का आर्त आवेदन सुनते ही अकस्मात श्री रामकृष्ण में भावान्तर उपस्थित हुआ। वे तिरस्कारपूर्ण स्वर में बोल उठे- छि, छि ! तू इतना बड़ा आधार्। तेरे मुँह से एसी बात ! मैंने सोचा था, तू एक विशाल वट्वृक्ष जैसा बनेगा, तेरी छाया में हजारों नर-नारियों को आश्रय मिलेगा: पर वैसा न होकर तू केवल स्वयं की ही मुक्ति चाहता है?
नरेंद्र नाथ समझ गये श्री रामकृष्ण का ह्रदय कितना महान है। उनका ह्रदय पश्चाताप से भर गया है। तिरस्कृत से होकर वे चुपचाप आँसू बहाने लगे।
किन्तु नरेन्द्र नाथ की इस प्रार्थना को श्री रामकृष्ण ने अपूर्ण नहीं रखा। इस घटना के कुछ ही दिन बाद एक दिन सन्ध्या समय कांशीपुर उद्यानगृह में नरेन्द्र नाथ ध्यान करने बैठे। धीरे-धीरे उनका मन निर्विकल्प भूमि पर पहूँच गया।शरीर स्थाणुवत् स्थिर हो बाहर से मृतवत् दिखाई देने लगा। नरेंद्र नाथ देहातीत सच्चिदानन्द-सत्ता में डूब गये। काफी समय बीत गया। वे निश्चल नि:स्पन्द हो गम्भीर समाधी में मग्न रहे । नरेन्द्र नाथ की यह अवस्था देख कर एक गुरुभाई भय से व्यग्र हो श्री रामकृष्ण के निकट जाकर बोल उठे, नरेन मर गया!
श्री रामकृष्ण ऊपर के कमरे में थे। नीचे वाले कमरे में ही नरेन्द्र नाथ समाधिमग्न थे। श्री रामकृष्ण तो सब जानते थे। उन्होंने कहा, अच्छा ही हुआ। उसी अवस्था में थोड़ी देर रहें। इसी के लिए तो मुझे कब से तंग कर रहा था।
काफी रात को नरेन्द्र की समाधि भंग हुई। किन्तु मन तब भी देह भूमि पर उतर नहीं पा रहा था। उस अवस्था में नरेन्द्र कहने लगे, मेरी देह कहाँ है?....”धीरे-धीरे सहज अवस्था प्राप्त होने के पश्चात वे उपर श्री रामकृष्ण के कक्ष में गए। समाधि की अपूर्व शान्ति से उनका मन परिपूर्ण था। वे श्री रामकृष्ण के सम्मुख जाकर सिर झुकाए खड़े रहे। उन्हें देखते ही श्री रामकृष्ण गम्भीर स्वर में बोल उठे- क्यों रे, अब तो माँ ने तुझे सब कुछ दिखा दिया न ! जो कुछ देखा उसका मार्ग अब बन्द रहा। उसकी चाभी मेरे हाथ रही। अब तुझे माँ का कार्य करना पड़ेगा। माँ  का कार्य समाप्त होने पर फिर वह अवस्था वापस मिलेगी। 




1 comment:

राज भाटिय़ा said...

अजी एक दिन मे एक ही पोस्ट अच्छी हे ज्यादा लिखो गे तो लोग केसे आयेगे, सब ने अन्य ब्लाग भी पढने हे:)