जय श्री राम ज्ञानोदय जय श्री राम
हमने जरूर कुछ ऐसा किया है या कर रहे हैं जिसके कारण हम दुखी हैं। परमात्मा कभी भूल नहीं करते, प्रकृति कभी गलत नहीं करती। हम अपनी जिन्दगी को देखें, हमने जो भी कुछ दिया है, वही मिल रहा है। हमने जो कुछ बोया है वही काट रहे हैं। हम भूल जाते हैं, बोते समय हम सोचते हैं कि बीज तो हमने बोये थे अमृत के और फल मिल रहे हैं विष के। किया था तो हमने भला और हो रहा है बुरा। दिये थे आशीर्वाद और मिल रही हैं गालियॉ, दिया था प्यार मिल रही है फटकार्। नहीं यह संभव नहीं है। यहां इंच-इंच का हिसाब है, रत्ती-रत्ती का हिसाब है। हमने जो किया वही मिल रहा है। ईश्वर जो करते हैं वह हमारे हित के लिए है, मगर धीरज रखे समय आने पर पता लगेगा।
26 comments:
बहुत सुंदर विचार जी, ओर बहुत सुंदर ब्लाग बनाया आप ने, हमारी शुभकमनायें, ओर आप का स्वागत हे ब्लाग जगत मे. धन्यवाद
बिल्कुल दुरूस्त फ़रमाया आपने, आपका हार्दिक स्वागत है इस मायावी दुनिया में.
रामराम.
जी हा हमारे किये का हमें यही भुगतना पड़ेगा | ब्लॉग जगत में स्वागत है |
आपका स्वागत है..सुशील जी...
सार्थक विचार, स्वागत.
सार्थक सकारात्मक विचार..... स्वागत...सतत लेखन की शुभकामनायें.....
सुन्दर विचार - शुभकामनाएं !
कोया पेड़ बबूल का तो ...
जो बोयेंगे वही तो काटेंगे।
सार्थक और विचारणीय अभिव्यक्ति .....आपका आभार आशा है आप हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे ...हार्दिक शुभकामनायें
बढियां ,लिखते रहिये !
बिल्कुल पते की बात...........बहुत ही गहरा भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति.
राजस्थानी में कहा जाता है कि जब छोटे बच्चे से पूछा जाता है कि तुम्हारा पेट क्यों निकल आया तो बच्चा जवाब देता है कि मै मिट्टी खाता हूँ इस लिए पेट बाहर निकल आया |तात्पर्य यह है कि उस बच्चे को पता है कि मिट्टी खाने से स्वास्थ्य में क्या नुकशान हो रहा है |वही हाल मनुष्य का है |मनुष्य को पता है मै बुरा काम कर रहा हूँ तो नतीजा भी बुरा ही होना वाला है फिर भी वो गलत काम करता है |
इस प्रकार का लेखन जारी रखे धन्यवाद |
उत्तम विचार!
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है. इतनी जल्दी जीवन दर्शन का फलसफा समझा दिया. काबिलेतारीफ है. शुभकामना.
बिलकुल सही कहा...
कल्याणकारी सुन्दर बातों की और ध्यान दिलाने के लिए बहुत बहुत आभार...
कल्याणकारी पोस्ट.
शुभ कामनाएं
हमने जो कुछ बोया है वही काट रहे हैं
ek sach
pehle to badhai is blog ke liye.. raaj bhatiya ji ki post se hame yahan kee raah mili... aik sankshipt kintu sarthak post... aabhaar
सुंदर विचार।
सुंदर विचार।
परमात्मा कभी भूल नहीं करते, प्रकृति कभी गलत नहीं करती..... सुंदर विचार.हार्दिक शुभकामनायें.
आपने सही लिखा है ,"यहाँ इंच इंच का हिसाब है "
सुन्दर और सत्य विचार !
ईश्वर को कोई और काम नहीं है ना। ईश्वर यदि लोगों के भले बुरे का हिसाब करने बैठा है तो वह भारतीय क्लर्क ज्यादा कुछ नहीं हो सकता। आदरणीय कृपया जरा बेहतर सोचें।
ईश्वर को कोई और काम नहीं है ना। ईश्वर यदि लोगों के भले बुरे का हिसाब करने ही बैठा है तो उसकी औकात सरकारी क्लर्क ज्यादा क्या हुई। आदरणीय कृपया जरा बेहतर सोचें।
जय हो महाराज
प्रवचन सुनकर कृताथ हुये
प्रणाम
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