Tuesday, February 8, 2011

ज्ञानोदय


जय श्री राम                  ज्ञानोदय           जय श्री राम                                       

हमने जरूर कुछ ऐसा किया है या कर रहे हैं जिसके कारण हम दुखी हैं।  परमात्मा कभी भूल नहीं करते, प्रकृति कभी गलत नहीं करती।  हम अपनी जिन्दगी को देखें, हमने जो भी कुछ दिया है, वही मिल रहा है। हमने जो कुछ बोया है वही काट रहे हैं। हम भूल जाते हैं, बोते समय हम सोचते हैं कि बीज तो हमने बोये थे अमृत के और फल मिल रहे हैं विष के। किया था तो हमने भला और हो रहा है बुरा।  दिये थे आशीर्वाद और मिल रही हैं गालियॉ, दिया था प्यार मिल रही है फटकार्।  नहीं यह संभव नहीं है।  यहां इंच-इंच का हिसाब है, रत्ती-रत्ती का हिसाब है।  हमने जो किया वही मिल रहा है।  ईश्वर जो करते हैं वह हमारे हित के लिए है, मगर धीरज रखे समय आने पर पता लगेगा।

26 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर विचार जी, ओर बहुत सुंदर ब्लाग बनाया आप ने, हमारी शुभकमनायें, ओर आप का स्वागत हे ब्लाग जगत मे. धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया said...

बिल्कुल दुरूस्त फ़रमाया आपने, आपका हार्दिक स्वागत है इस मायावी दुनिया में.

रामराम.

anshumala said...

जी हा हमारे किये का हमें यही भुगतना पड़ेगा | ब्लॉग जगत में स्वागत है |

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आपका स्वागत है..सुशील जी...

अभिषेक मिश्र said...

सार्थक विचार, स्वागत.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सार्थक सकारात्मक विचार..... स्वागत...सतत लेखन की शुभकामनायें.....

ZEAL said...

सुन्दर विचार - शुभकामनाएं !

Rahul Singh said...

कोया पेड़ बबूल का तो ...

अजित गुप्ता का कोना said...

जो बोयेंगे वही तो काटेंगे।

केवल राम said...

सार्थक और विचारणीय अभिव्यक्ति .....आपका आभार आशा है आप हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे ...हार्दिक शुभकामनायें

Arvind Mishra said...

बढियां ,लिखते रहिये !

उपेन्द्र नाथ said...

बिल्कुल पते की बात...........बहुत ही गहरा भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति.

naresh singh said...

राजस्थानी में कहा जाता है कि जब छोटे बच्चे से पूछा जाता है कि तुम्हारा पेट क्यों निकल आया तो बच्चा जवाब देता है कि मै मिट्टी खाता हूँ इस लिए पेट बाहर निकल आया |तात्पर्य यह है कि उस बच्चे को पता है कि मिट्टी खाने से स्वास्थ्य में क्या नुकशान हो रहा है |वही हाल मनुष्य का है |मनुष्य को पता है मै बुरा काम कर रहा हूँ तो नतीजा भी बुरा ही होना वाला है फिर भी वो गलत काम करता है |
इस प्रकार का लेखन जारी रखे धन्यवाद |

मनोज कुमार said...

उत्तम विचार!

मेरे भाव said...

हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है. इतनी जल्दी जीवन दर्शन का फलसफा समझा दिया. काबिलेतारीफ है. शुभकामना.

रंजना said...

बिलकुल सही कहा...

कल्याणकारी सुन्दर बातों की और ध्यान दिलाने के लिए बहुत बहुत आभार...

विशाल said...

कल्याणकारी पोस्ट.
शुभ कामनाएं

OM KASHYAP said...

हमने जो कुछ बोया है वही काट रहे हैं
ek sach

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

pehle to badhai is blog ke liye.. raaj bhatiya ji ki post se hame yahan kee raah mili... aik sankshipt kintu sarthak post... aabhaar

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर विचार।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर विचार।

Meenu Khare said...

परमात्मा कभी भूल नहीं करते, प्रकृति कभी गलत नहीं करती..... सुंदर विचार.हार्दिक शुभकामनायें.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

आपने सही लिखा है ,"यहाँ इंच इंच का हिसाब है "
सुन्दर और सत्य विचार !

Rajeysha said...

ईश्‍वर को कोई और काम नहीं है ना। ईश्‍वर यदि‍ लोगों के भले बुरे का हि‍साब करने बैठा है तो वह भारतीय क्‍लर्क ज्‍यादा कुछ नहीं हो सकता। आदरणीय कृपया जरा बेहतर सोचें।

Rajeysha said...

ईश्‍वर को कोई और काम नहीं है ना। ईश्‍वर यदि‍ लोगों के भले बुरे का हि‍साब करने ही बैठा है तो उसकी औकात सरकारी क्‍लर्क ज्‍यादा क्‍या हुई। आदरणीय कृपया जरा बेहतर सोचें।

अन्तर सोहिल said...

जय हो महाराज
प्रवचन सुनकर कृताथ हुये

प्रणाम