// शष्टम दृश्य //
भरसक प्रयत्न करने पर भी जब कोई रास्ता न मिला तो रामकृष्ण की याद आई और नरेन्द्र एक दिन दक्षिणेश्वर पहुँच गये।
इस विचार से नरेन्द्र एक दिन दक्षिणेश्वर आये और श्रीरामकृष्ण से आग्रह करने लगे- “आपको इसकी कोई न कोई व्यवस्था कर ही देनी होगी। अपनी माता से एक बार कहें, इससे हमारे सब कष्टों का अन्त हो जाएगा। श्री रामकृष्ण ने नरेन्द्र से मन्दिर में जाकर माता के निकट प्रार्थना करने के लिए कहा। लगातार तीन बार माता के समीप जाकर भी सांसारिक अभाव की बात वे नहीं कह सके- उन्होंने माँगा केवल विवेक-वैराग्य ही। तब श्री रामकृष्ण बोले- “अच्छा जा । माँ से कहूँगा कि तुम्हें सादे अन्न वस्त्र का कभी अभाव न हो।
श्री रामकृष्ण से यह आशीर्वाद प्राप्त होने के बाद नरेंद्र नाथ का सांसारिक अभाव कुछ अंश में दूर हुआ। उन्हें कुछ-कुछ काम मिलने लगा। इधर श्री रामकृष्ण देव ने उन्हें विभिन्न उपायों के माध्यम से धीरे-धीरे साधना के अधिकाधिक उच्च स्तरों की ओर अग्रसर कराने लगे। विविध अतीन्द्रिय दिव्यानुभूतियों से गुजरते हुए नरेंद्र नाथ का जीवन क्रमश: परम सत्य में प्रतिष्ठित हो गया। श्री रामकृष्ण के जीवन में दिखाई देने वाले विभिन्न आचरणों की ओर अब वे एक नवीन दृष्टि से देखने लगे।
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