// पञ्चम दृश्य //
- नरेन्द्र (विवेकानन्द) के पिता का देहान्त -1884 ।
- परिवार में अर्थव्यवस्था का बिगड़ना।
- स्नातक तक की पढ़ाई के बाद भी 30/- रुपये तक की नौकरी का न मिलना।
- अन्त में माता, भाई-बहनों को लेकर नानी के घर में आश्रय लेना।
- नरेन्द्र जैसे दृढ़ निश्चयी, परिश्रमी को 30/- रुपये तक की नौकरी भी न मिलना, किसी दैवी इच्छा का ही फल था, क्योंकि उन्हें तो सन्यासी ही बनना था।
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